तुम्हें किस ने कहा था
दोपहर के गर्म सूरज की तरफ़ देखो
और इतनी देर तक देखो
कि बीनाई पिघल जाए
तुम्हें किस ने कहा था
आसमाँ से टूटती अंधी उलझती बिजलियों से दोस्ती कर लो
और इतनी दोस्ती कर लो
कि घर का घर ही जल जाए
तुम्हें किस ने कहा था
एक अनजाने सफ़र में
अजनबी रहरव के हमरा दूर तक जाओ
और इतनी दूर तक जाओ
कि वो रस्ता बदल जाए
नज़्म
तुम्हें किस ने कहा था
मोहसिन नक़वी