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तुम | शाही शायरी
tum

नज़्म

तुम

वर्षा गोरछिया

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आओ एक रात कि पहन लूँ तुम्हें
अपने तन पर लिबास की मानिंद

तुम को सीने पे रख के सो जाऊँ
आसमानी किताब की मानिंद

और तिरे हर्फ़ जान-ए-जाँ ऐसे
फिर मिरी रूह में उतर जाएँ

जैसे पैग़म्बरों के सीने पर
कोई सच्ची वही उतरती है