आओ एक रात कि पहन लूँ तुम्हें
अपने तन पर लिबास की मानिंद
तुम को सीने पे रख के सो जाऊँ
आसमानी किताब की मानिंद
और तिरे हर्फ़ जान-ए-जाँ ऐसे
फिर मिरी रूह में उतर जाएँ
जैसे पैग़म्बरों के सीने पर
कोई सच्ची वही उतरती है
नज़्म
तुम
वर्षा गोरछिया
नज़्म
वर्षा गोरछिया
आओ एक रात कि पहन लूँ तुम्हें
अपने तन पर लिबास की मानिंद
तुम को सीने पे रख के सो जाऊँ
आसमानी किताब की मानिंद
और तिरे हर्फ़ जान-ए-जाँ ऐसे
फिर मिरी रूह में उतर जाएँ
जैसे पैग़म्बरों के सीने पर
कोई सच्ची वही उतरती है