शातिर लोगों ने
उस के आते ही दीवार खींच दी
कहीं इस का साया
मुझे छू न ले
एक एहसास को
ज़िंदगी मिलती है:
कोई तो तिलिस्म है
जो उन के ख़ौफ़ का सबब बना
नज़्म
तिलिस्म
शीरीं अहमद
नज़्म
शीरीं अहमद
शातिर लोगों ने
उस के आते ही दीवार खींच दी
कहीं इस का साया
मुझे छू न ले
एक एहसास को
ज़िंदगी मिलती है:
कोई तो तिलिस्म है
जो उन के ख़ौफ़ का सबब बना