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थक जाओगी | शाही शायरी
thak jaogi

नज़्म

थक जाओगी

मोहसिन नक़वी

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पागल आँखों वाली लड़की
इतने महँगे ख़्वाब न देखो

थक जाओगी
काँच से नाज़ुक ख़्वाब तुम्हारे

टूट गए तो
पछताओगी

सोच का सारा उजला कुंदन
ज़ब्त की राख में घुल जाएगा

कच्चे-पक्के रिश्तों की ख़ुश्बू का रेशम
खुल जाएगा

तुम क्या जानो
ख़्वाब सफ़र की धूप के तेशे

ख़्वाब अधूरी रात का दोज़ख़
ख़्वाब ख़यालों का पछतावा

ख़्वाबों की मंज़िल रुस्वाई
ख़्वाबों का हासिल तन्हाई

तुम क्या जानो
महँगे ख़्वाब ख़रीदना हूँ तो

आँखें बेचना पड़ती हैं या
रिश्ते भूलना पड़ते हैं

अंदेशों की रेत न फाँको
प्यास की ओट सराब न देखो

इतने महँगे ख़्वाब न देखो
थक जाओगी