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तेरे होने से | शाही शायरी
tere hone se

नज़्म

तेरे होने से

हबीब जालिब

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दिल की कोंपल हरी तेरे होने से है
ज़िंदगी ज़िंदगी तेरे होने से है

किश्त-ज़ारों में तू कार-ख़ानों में तू
इन ज़मीनों में तू आसमानों में तू

शेर में नस्र में दास्तानों में तू
शहर ओ सहरा में तू और चटानों में तू

हुस्न-ए-सूरत-गरी तेरे होने से है
ज़िंदगी ज़िंदगी तेरे होने से है

तुझ से है आफ़रीनश नुमू इर्तिक़ा
तुझ से हैं क़ाफ़िले रास्ते रहनुमा

तू न होती तो क्या था चमन क्या सबा
कैसे कटता सफ़र दर्द का यास का

आस की रौशनी तेरे होने से है
ज़िंदगी ज़िंदगी तेरे होने से है

ख़ौफ़ ओ नफ़रत की हर हद मिटाने निकल
अक़्ल-ओ-दानिश की शमएँ जलाने निकल

ज़ेर-दस्तों की हिम्मत बँधाने निकल
हम-ख़याल और अपने बनाने निकल

अब कुशा बे-कसी तेरे होने से है
ज़िंदगी ज़िंदगी तेरे होने से है