EN اردو
तशक्कुर | शाही शायरी
tashakkur

नज़्म

तशक्कुर

सय्यद मुबारक शाह

;

ख़बर-नामे का साज़ और फ़ोन की घंटी
इकट्ठे बज उठे थे और

जितनी देर में मैं फ़ोन तक पहुँचा
श्रीलंका में कश्ती के उलटने से

तक़रीबन पाँच सौ लोगों को लहरें खा चुकी थीं
हेलो मैं ठीक हूँ लेकिन

अली का कुछ बुख़ार उतरा
अली अली तो ठीक है बिल्कुल

ये मेरे सामने बैठा
करम है मेरे मालिक का ख़ुदा की मेहरबानी है

तशक्कुर की उसी साअ'त के अंदर
तीन सौ लाशें समुंदर से निकाली जा चुकी थीं

और उन में अक्सरिय्यत कमसिनों की थी