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तल्ख़ियाँ | शाही शायरी
talKHiyan

नज़्म

तल्ख़ियाँ

असअ'द बदायुनी

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छोटे छोटे होटलों में शहर के
मुज़्तरिब दिल की तसल्ली के लिए

आने वाले कल के मंसूबों में गुम
चंद इंसाँ

चाय सिप करते हुए
पी रहे हैं

सारे दिन की तल्ख़ियाँ