एक आँख थी आधे लब थे
और इक चोटी लम्बी सी
एक कान में चमक रही थी
चाँद सी बाली पड़ी हुई
एक हिनाई हाथ था जिस में
लाल काँच की चौड़ी थी
एक गली में दरवाज़े से
झाँक रही थी इक लड़की
जाने कौन गली थी अब मैं
छान रहा हूँ गली गली
नज़्म
तलाश
मोहम्मद अल्वी