जौहरी को क्या मालूम किस तरह की मिट्टी में कैसे फूल होते हैं
किस तरह के फूलों में
कैसी बास होती है
जौहरी को क्या मालूम
जौहरी तो सारी उम्र पत्थरों में रहता है
ज़र-गरों में रहता है
जौहरी को क्या मालूम
ये तो बस वही जाने
जिस ने अपनी मिट्टी से
अपना एक इक पैमाँ
उस्तुवार रक्खा हो
जिस ने हर्फ़-ए-पैमाँ का ए'तिबार रक्खा हो
जौहरी को क्या मालूम किस तरह की मिट्टी में कैसे फूल होते हैं
किस तरह के फूलों में कैसी बास होती है
नज़्म
तजाहुल-ए-आरिफ़ाना
इफ़्तिख़ार आरिफ़