नीम-शब चाँद ख़ुद-फ़रामोशी
महफ़िल-ए-हस्त-ओ-बूद वीराँ है
पैकर-ए-इल्तिजा है ख़ामोशी
बज़्म-ए-अंजुम फ़सुर्दा-सामाँ है
आबशार-ए-सुकूत जारी है
चार-सू बे-ख़ुदी सी तारी है
ज़िंदगी जुज़व-ए-ख़्वाब है गोया
सारी दुनिया सराब है गोया
सो रही है घने दरख़्तों पर!
चाँदनी की थकी हुई आवाज़
कहकशाँ नीम-वा निगाहों से
कह रही है हदीस-ए-शौक़-ए-नियाज़
साज़-ए-दिल के ख़मोश तारों से
छन रहा है ख़ुमार-ए-कैफ़-आगीं
आरज़ू ख़्वाब तेरा रू-ए-हसीं
नज़्म
सुरुद-ए-शबाना
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़