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सोला दिसम्बर | शाही शायरी
sola december

नज़्म

सोला दिसम्बर

अंजुम सलीमी

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तू इल्म-ओ-हुनर से ख़ाइफ़ है
तू रौशनियों से डरता है

ओ अम्न के ग़ारत-गर दुश्मन
तू उस दिन से भी डर दुश्मन

जब तुझ को तेरे अपने ही
बच्चों का दुश्मन कर दूँगा

ता'लीम से रौशन कर दूँगा