शहर के खेलते कूदते नन्हे मुन्ने से बच्चों ने मिल कर मुझे
बर्फ़ की इक पहाड़ी से काटा
तराशा
मिरे हाथ पाँव सजाए
मुझे बर्फ़ के छोटे छोटे से गोलों से मज़बूत कर के
बड़े प्यार से
एक चौराहे पे ला कर खड़ा कर दिया
मुझ से कुछ देर अठखेलियाँ
दिल-लगी का बहाना बनीं
और फिर
जाने क्यूँ
चंद बच्चों के अबरू उठे
शोर-ओ-ग़ौग़ा हुआ
मेरे सर मेरे पाँव मिरे जिस्म के
चंद गोले बने
और गोलों को बच्चों ने मासूम हाथों से ख़ुद
एक इक कर के उड़ती हवा के हवाले किया
नज़्म
इसनोमैन
ख़ालिद सुहैल