सात सुहागनें और मेरी पेशानी!
संदल की तहरीर
भला पत्थर के लिखे को क्या धोएगी
बस इतना है
जज़्बे की पूरी नेकी से
सब ने अपने अपने ख़ुदा का इस्म मुझे दे डाला है
और ये सुनने में आया है
शाम ढले जंगल के सफ़र में
इस्म बहुत काम आते हैं!
नज़्म
शुगून
परवीन शाकिर