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शर्नाथी | शाही शायरी
sharnathi

नज़्म

शर्नाथी

कफ़ील आज़र अमरोहवी

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ख़्वाब शब की मुंडेरों पे बैठे हुए
घूरते हैं मुझे

मेरी आँखों में बसने को बेचैन हैं
मैं इसी ख़ौफ़ से रात भर

जागता हूँ कि मैं सो गया गर
तो ये

मेरी आँखों में बस जाएँगे
और कल

उन की क़ीमत चुकानी पड़ेगी मुझे