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शहकार | शाही शायरी
shahkar

नज़्म

शहकार

साहिर लुधियानवी

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मुसव्विर मैं तिरा शहकार वापस करने आया हूँ
अब उन रंगीन रुख़्सारों में थोड़ी ज़र्दियाँ भर दे

हिजाब-आलूद नज़रों में ज़रा बेबाकियाँ भर दे
लबों की भीगी भीगी सिलवटों को मुज़्महिल कर दे

नुमायाँ रंग-ए-पेशानी पे अक्स-ए-सोज़-ए-दिल कर दे
तबस्सुम-आफ़रीं चेहरे में कुछ संजीदा-पन भर दे

जवाँ सीने की मख़रूती उठानें सर-निगूँ कर दे
घने बालों को कम कर दे मगर रख़शंदगी दे दे

नज़र से तमकनत ले कर मज़ाक़-ए-आजिज़ी दे दे
मगर हाँ बेंच के बदले उसे सोफ़े पे बिठला दे

यहाँ मेरे बजाए इक चमकती कार दिखला दे