एक याद एक चाय का मग और कुछ राख
पुरानी किताबों के चंद पीले वरक़
पीतल की ऐशट्रे और सियाह मोटे
फ़्रेम का वो चश्मा
वो काला वॉलेट
और कलाई पे बंधी भरी सुनहरी गर्दी
खद्दर की आधे बाज़ुओं वाली शर्टें
और मख़्सूस लम्बान वाली सुरमई पतलून
काले तस्मों वाले जूते और सलीक़े
से जमी माँग
सब से फ़राग़त के बा'द कलफ़ में अकड़ा
सफ़ेद मलमल का कुर्ता और लट्ठे की शलवार
इलाहाबादी काले पम्पस सिगरेट का कश
और चाय का घूँट रोज़ की वही राख
नज़्म
सरापा
उरूज जाफ़री