शाएर का जशन-ए-सालगिरह है शराब ला
मंसब ख़िताब रुत्बा उन्हें क्या नहीं मिला
बस नक़्स है तो इतना कि मम्दूह ने कोई
मिस्रा किसी किताब के शायाँ नहीं लिखा
नज़्म
साल-गिरह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शाएर का जशन-ए-सालगिरह है शराब ला
मंसब ख़िताब रुत्बा उन्हें क्या नहीं मिला
बस नक़्स है तो इतना कि मम्दूह ने कोई
मिस्रा किसी किताब के शायाँ नहीं लिखा