सड़क किनारे बैठ के अक्सर
मैं ये सोचा करता था
घटते बढ़ते
टेढ़े तिरछे
लाखों साए
किस का पीछा करते हैं
उम्र किनारे
अब मैं अपना
सुंदर साया
ढूँड रहा हूँ
नज़्म
रौशनी
अाज़म ख़ुर्शीद
नज़्म
अाज़म ख़ुर्शीद
सड़क किनारे बैठ के अक्सर
मैं ये सोचा करता था
घटते बढ़ते
टेढ़े तिरछे
लाखों साए
किस का पीछा करते हैं
उम्र किनारे
अब मैं अपना
सुंदर साया
ढूँड रहा हूँ