दूर जंगल के घने पेड़ों पर
शाम के सुरमई अँधेरे में
जब भी पंछी पलट के आते हैं
मेरा तन्हा उदास व्याकुल मन
ग़म के साए में डूब जाता है

नज़्म
रद्द-ए-अमल
अनवर ख़ान
नज़्म
अनवर ख़ान
दूर जंगल के घने पेड़ों पर
शाम के सुरमई अँधेरे में
जब भी पंछी पलट के आते हैं
मेरा तन्हा उदास व्याकुल मन
ग़म के साए में डूब जाता है