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क़ौमी गीत | शाही शायरी
qaumi git

नज़्म

क़ौमी गीत

आरज़ू लखनवी

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ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम भारत-माता को प्रणाम
तू तो कैसी प्यारी माँ है

सब माओं से अच्छी माँ है
लाड उठाने वाली माँ है

अपनी माँ है अपनी माँ है
माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम

तेरी माँग में गंगा जल है
भरा परा तेरा आँचल है

हरियाली है फूल है फल है
तेरी गोद सुख-मंडल है

माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम
सब से ऊँचे पर्बत वाली

सब से बढ़ कर शौकत वाली
सब से भारी दौलत वाली

इज़्ज़त वाली अज़्मत वाली
माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम

तेरी छाती धर्म समुंदर
जिस की मौजें मस्जिद मंदिर

दोनों की है गूँज बराबर
अल्लाह अल्लाह ईश्वर ईश्वर

माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम
हिन्दू मुस्लिम गोरे काले

प्रेम की दारू के मतवाले
सब हैं तेरी गोद के पाले

सब हैं बात पे मरने वाले
माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम

तेरे दूध की सब में ताक़त
उल्फ़त इज़्ज़त हिम्मत जुरअत

तेरी दुआएँ फ़त्ह-ओ-नुसरत
तेरे पाँव के नीचे जन्नत

माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम
अब तो लुटेरे तुझ को लौटें

बे-भुगते भुगतान न छूटें
हाथ में धुन हो बाज़ू टूटें

घूर के देखें आँखें फूटीं
माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम

तुझ से आशिर्बाद जो पाएँ
आरज़ू ऐसे भी तन जाएँ

बिजली बन कर आफ़त ढाएँ
दूर हूँ फिर तो सारी बलाएँ

माता को प्रणाम ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम
ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम भारत-माता को प्रणाम