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क़रिया-ए-मोहब्बत | शाही शायरी
qariya-e-mohabbat

नज़्म

क़रिया-ए-मोहब्बत

अहमद नदीम क़ासमी

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बहुत शदीद तशंनुज में मुब्तिला लोगो
यहाँ से दूर मोहब्बत का एक क़र्या है

यहाँ धुएँ ने मनाज़िर छुपा रखे हैं मगर
उफ़ुक़ बक़ा का वहाँ से दिखाई देता है

यहाँ तो अपनी सदा कान में नहीं पड़ती
वहाँ ख़ुदा का तनफ़्फ़ुस सुनाई देता है