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परस्तिश | शाही शायरी
parastish

नज़्म

परस्तिश

ख़दीजा ख़ान

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कैसी मोहब्बत है
लिखा क़िस्मत में जिस के

तमाम उम्र का हिज्र
कम कैसे हो लगन

जब दिल ही ख़ुद
परस्तार हो जाए

और ये दिल की लगी
परस्तिश हो जाए