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ऑक्टोपस | शाही शायरी
octopus

नज़्म

ऑक्टोपस

आदिल हयात

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ख़्वाहिश का इक समुंदर
मेरे दिल में

दूर तक अपनी जड़ें फैलाए
मुझ को अपने घेरे में लिए

अपनी मौजों के सहारे
चूस लेना चाहता है सब लहू

ग़ालिबन
इक ऑक्टोपस के

घने पंजों की ज़द में हूँ मैं 'आदिल'