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निरवान | शाही शायरी
nirwan

नज़्म

निरवान

खलील तनवीर

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उस ने
उन की तरफ़

आख़िरी बार देखा
और चल पड़ा

अब उस के लिए
एहसास के सारे मंज़र नए थे

ज्ञान का कर्ब था