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नींद | शाही शायरी
nind

नज़्म

नींद

कृष्ण मोहन

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नींद तो इक बैरागन है
जिस को ज़रदारों, नेताओं राजाओं की आँखों के

राज-भवन भाते ही नहीं
महा-भारत