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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ुबैर रिज़वी

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तुम किस सोच में डूब गए हो
हाथ का पत्थर पानी के सीने पर मारो

चोट तो पानी को आएगी
पानी चोट की ताब न ला कर

मौजों की सूरत में बहता
साहिल साहिल सर पटकेगा

फिर ख़ुद ही असली हालत पर आ जाएगा
तुम किस सोच में डूब गई हो

हाथ का पत्थर पानी के सीने पर मारो
मैं पानी हूँ