छोटी सी औरत
तारीक घर में
या रह-गुज़र में
कब से खड़ी है
इतने दिनों से
ये अपने मन में
क्या है छुपाए
ये अपने दुख सुख
किस को बताए
ये अपनी बातें
किस को सुनाए
आँखों में इस की
आज और कल के
सपने भरे हैं
हाथों में इस के
जीवन है सब का
देखे तो कोई
छोटी सी औरत
सारे जहाँ में
सब से बड़ी है

नज़्म
नज़्म
ज़ीशान साहिल