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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

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छोटी सी औरत
तारीक घर में

या रह-गुज़र में
कब से खड़ी है

इतने दिनों से
ये अपने मन में

क्या है छुपाए
ये अपने दुख सुख

किस को बताए
ये अपनी बातें

किस को सुनाए
आँखों में इस की

आज और कल के
सपने भरे हैं

हाथों में इस के
जीवन है सब का

देखे तो कोई
छोटी सी औरत

सारे जहाँ में
सब से बड़ी है