बहार आने से पहले
शहर का मौसम बदलता है
जहान-ए-रंग-ओ-बू के साथ
कुल आलम बदलता है
दिल-ओ-जाँ जुज़-ब-जुज़
या सर-ब-सर तब्दील होते हैं
मुसाफ़िर रास्ते और हम-सफ़र
तब्दील होते हैं
जहाँ इक घर था पहले
अब किसी का घर नहीं होगा
बहार आने से पहले का
कोई मंज़र नहीं होगा
नज़्म
नज़्म
ज़ीशान साहिल