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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

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बहार आने से पहले
शहर का मौसम बदलता है

जहान-ए-रंग-ओ-बू के साथ
कुल आलम बदलता है

दिल-ओ-जाँ जुज़-ब-जुज़
या सर-ब-सर तब्दील होते हैं

मुसाफ़िर रास्ते और हम-सफ़र
तब्दील होते हैं

जहाँ इक घर था पहले
अब किसी का घर नहीं होगा

बहार आने से पहले का
कोई मंज़र नहीं होगा