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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

जीफ़ ज़िया

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तू ने मिरी रूह
वजूद समेत अपनी मोहब्बत से तर की थी

जानाँ
तू गर इक ही झटके में

साँस निकल जाए
वजूद से

रंग नीला तो होगा नाँ
सो आज-कल वही रंग है मेरा