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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
शबनम अशाई
अगली फ़ोन-कॉल पे वो तमाम चराग़ बुझ जाते हैं जो मैं पहली फ़ोन-कॉल के ब'अद जलाती हूँ! चराग़ जलाते जलाते मैं अपनी उँगलियाँ भी जला लेती हूँ मेरी उँगलियाँ झुलसने का इंदिराज तुम अपनी कौन सी फ़ाइल में रख रहे हो