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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

मोहम्मद अाज़म

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वो सब
भेड़िये हैं

मगर
जानते बूझते

ग़ोल-दर-ग़ोल भेड़ें
ख़ून अपना पिलाने उन्हें

जा रही हैं तो जाएँ
शब ही उन्हें रोकना है

ये मंज़र मुझे देखना है
ये कैसा मज़ा है