ऐ सुबुक सादा निशाँ, पानी की लहर
ऐ गुल-ए-इमकाँ ख़बर मौज-ए-हवा
मैं ज़ियाँ एहसास क़तरा क़तरा रात
तू सफ़र, साकित समुंदर, दायरा
ताइर-ए-लाहूत का नग़्मा अदम
इक सलीब-ए-शाख़ पे आँखें सज़ा

नज़्म
नज़्म
फ़ारूक़ मुज़्तर
नज़्म
फ़ारूक़ मुज़्तर
ऐ सुबुक सादा निशाँ, पानी की लहर
ऐ गुल-ए-इमकाँ ख़बर मौज-ए-हवा
मैं ज़ियाँ एहसास क़तरा क़तरा रात
तू सफ़र, साकित समुंदर, दायरा
ताइर-ए-लाहूत का नग़्मा अदम
इक सलीब-ए-शाख़ पे आँखें सज़ा