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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

फ़ारूक़ मुज़्तर

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ऐ सुबुक सादा निशाँ, पानी की लहर
ऐ गुल-ए-इमकाँ ख़बर मौज-ए-हवा

मैं ज़ियाँ एहसास क़तरा क़तरा रात
तू सफ़र, साकित समुंदर, दायरा

ताइर-ए-लाहूत का नग़्मा अदम
इक सलीब-ए-शाख़ पे आँखें सज़ा