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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

आसिमा ताहिर

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दहकती रातों की चाँदनी में
हवा से पत्तों की सरसराहट

बहकती साँसों की कपकपाहट
जवान बाँहों के गर्म हाले

सुकूत-ए-शब को बढ़ा रहे हैं
पिघल रही है ये बर्फ़-साअत