तहत-ए-शुऊर की
तारीकी में
इक पज़-मुर्दा
गुल-ए-लाला के
सुर्ख़ ओ सियह
पंखुड़ियों के रेज़े
पिछले अठारह बरसों से
सिसक रहे हैं
नज़्म
नज़्म
अबरार आज़मी
नज़्म
अबरार आज़मी
तहत-ए-शुऊर की
तारीकी में
इक पज़-मुर्दा
गुल-ए-लाला के
सुर्ख़ ओ सियह
पंखुड़ियों के रेज़े
पिछले अठारह बरसों से
सिसक रहे हैं