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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

अबरार आज़मी

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तहत-ए-शुऊर की
तारीकी में

इक पज़-मुर्दा
गुल-ए-लाला के

सुर्ख़ ओ सियह
पंखुड़ियों के रेज़े

पिछले अठारह बरसों से
सिसक रहे हैं