करोड़ों बरस की पुरानी
कुहन-साल दुनिया
ये दुनिया भी क्या मस्ख़री है
नए साल की शाल ओढ़े
ब-सद-तंज़ हम सब से ये कह रही है
कि मैं तो ''नई'' हूँ
हँसी आ रही है
नज़्म
नया साल
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
मख़दूम मुहिउद्दीन
करोड़ों बरस की पुरानी
कुहन-साल दुनिया
ये दुनिया भी क्या मस्ख़री है
नए साल की शाल ओढ़े
ब-सद-तंज़ हम सब से ये कह रही है
कि मैं तो ''नई'' हूँ
हँसी आ रही है