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नया साल | शाही शायरी
naya sal

नज़्म

नया साल

कफ़ील आज़र अमरोहवी

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ज़िंदगी के पेड़ से
एक पत्ता और गिर कर

ढेर में गुम हो गया है
ढेर उन पत्तों का जो पहले गिरे थे

हँस रहा है
ज़िंदगी का पेड़ ख़ुश है

जैसे उस का बोझ हल्का हो गया है