सूरज!
इक नट-खट बालक-सा
दिन भर शोर मचाए
इधर उधर चिड़ियों को बिखेरे
किरनों को छितराए
क़लम दरांती ब्रश हथौड़ा
जगह जगह फैलाए
शाम! थकी हारी माँ जैसी
इक दिया मलकाए
धीमे धीमे
सारी बिखरी चीज़ें चुनती जाए
नज़्म
नया दिन
निदा फ़ाज़ली
नज़्म
निदा फ़ाज़ली
सूरज!
इक नट-खट बालक-सा
दिन भर शोर मचाए
इधर उधर चिड़ियों को बिखेरे
किरनों को छितराए
क़लम दरांती ब्रश हथौड़ा
जगह जगह फैलाए
शाम! थकी हारी माँ जैसी
इक दिया मलकाए
धीमे धीमे
सारी बिखरी चीज़ें चुनती जाए