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नए नज़रिये की तख़्लीक़ | शाही शायरी
nae nazariye ki taKHliq

नज़्म

नए नज़रिये की तख़्लीक़

मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

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काँच की रंगीन टूटी चूड़ियों को
आईने के तीन टुकड़ों में

किसी भी ढंग से रख दो
नया ख़ाका बनेगा

जिस में इक तरकीब होगी
लाख झटके दीजिए

हर बार ये तरकीब इक तरकीब-ए-नौ में ही ढलेगी
जब भी कुछ टूटे हुए लोगों में

अपने तजरबात-ए-ख़ाम के क़िस्से छिड़ेंगे
इक नज़रिया जन्म लेगा