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मुश्किल | शाही शायरी
mushkil

नज़्म

मुश्किल

साइमा इसमा

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मुझे कुछ देर सोना है
ज़माने चीख़ते हैं मेरे कानों में

ख़मोशी किस तरह होगी
मिरी आँखों में सूरज आ बसे हैं

रात कैसे हो