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मुझे अब डर नहीं लगता | शाही शायरी
mujhe ab Dar nahin lagta

नज़्म

मुझे अब डर नहीं लगता

मोहसिन नक़वी

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किसी के दूर जाने से
तअ'ल्लुक़ टूट जाने से

किसी के मान जाने से
किसी के रूठ जाने से

मुझे अब डर नहीं लगता
किसी को आज़माने से

किसी के आज़माने से
किसी को याद रखने से

किसी को भूल जाने से
मुझे अब डर नहीं लगता

किसी को छोड़ देने से
किसी के छोड़ जाने से

ना शम्अ' को जलाने से
ना शम्अ' को बुझाने से

मुझे अब डर नहीं लगता
अकेले मुस्कुराने से

कभी आँसू बहाने से
ना इस सारे ज़माने से

हक़ीक़त से फ़साने से
मुझे अब डर नहीं लगता

किसी की ना-रसाई से
किसी की पारसाई से

किसी की बेवफ़ाई से
किसी दुख इंतिहाई से

मुझे अब डर नहीं लगता
ना तो इस पार रहने से

ना तो उस पार रहने से
ना अपनी ज़िंदगानी से

ना इक दिन मौत आने से
मुझे अब डर नहीं लगता