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मॉन्सटर | शाही शायरी
monster

नज़्म

मॉन्सटर

मोहम्मद अनवर ख़ालिद

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दरीचा खुला छोड़ कर यूँ न जाना
कि रस्ता गुज़रती कोई और लड़की

मुझे ख़्वाब बुनता हुआ देख लेगी
ठिठुक जाएगी

और मुझ से मिरे ख़्वाब का रास्ता पूछने की हिमाक़त करेगी