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मोहब्बत का जन्म-दिन | शाही शायरी
mohabbat ka janm-din

नज़्म

मोहब्बत का जन्म-दिन

ज़ीशान साहिल

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आज मोहब्बत का जन्म-दिन है
आज हम उदासी की छुरी से

अपने दिल को काटेंगे
आज हम अपनी पलकों पर

जलती हुई मोम-बत्ती रख के
एक तार पर से गुज़़रेंगे

हमें कोई नहीं देखेगा
मगर हम हर बंद खिड़की की तरफ़

देखेंगे
हर दरवाज़े के सामने फूल रखेंगे

किसी न किसी बात पर
हम रोएँगे और अपने रोने पर

हम हँसेंगे
आज मोहब्बत का जन्म-दिन है

आज हम हर दरख़्त के सामने से
गुज़रते हुए

टोपी उतार कर उसे सलाम करेंगे
हर बादल को देख के

हाथ हिलाएँगे
हर सितारे का शुक्रिया अदा करेंगे

हमारे आँसुओं ने
हमारे हथेलियों को छलनी कर दिया है

आज हम अपने दोनों हाथ
जेबों में डाल कर चलेंगे

और अगले बरस तक चलते रहेंगे