EN اردو
मेरी आहट | शाही शायरी
meri aahaT

नज़्म

मेरी आहट

अज़ीज़ तमन्नाई

;

मेरी आहट गूँज रही है
दुनिया की हर राहगुज़र में

ऊषा मेरे नक़्श-ए-क़दम पर
ख़ुशबू की पिचकारी ले कर

रंग छिड़कती जाती है
सूरज के अलबेले मुग़न्नी

जुम्बिश पा के सरगम पर
संगीत सुनाते जाते हैं

सजी-सजाई शाम की दुल्हन
शब की सियह-अंदाम अभागन

मेरे मन की नाज़ुक धड़कन
एक ही ताल पे लहराती हैं

चंचल लहरें सरकश ज़र्रे
कोहरे की बाँहों में साए

गर्द-ए-कफ़-ए-पा के सय्यारे
एक ही गत पर नाच रहे हैं

मेरी आहट गूँज रही है
दुनिया की हर राहगुज़र में

फिर भी यूँ लगता है जैसे
ये गीती बा-वस्फ़-ए-वुसअत

एक अकेली बस्ती है
और जैसे हर बज़्म-आराई

इक इज़हार-ए-तंहाई है
और जैसे ये चाँद सितारे

सूरज, दरिया, सहरा
मौसम बर्र-ए-आज़म

सब मौहूम धुँदलके हैं
सब मेरी पाइंदा अना के जलते बुझते हाले हैं

सब आवाज़ें फ़ानी हैं
इक मेरी आहट लाफ़ानी है