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मेरे दिल में जंगल है | शाही शायरी
mere dil mein jangal hai

नज़्म

मेरे दिल में जंगल है

असग़र नदीम सय्यद

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मेरे दिल में जंगल है
और उस में भेड़िया रहता है

जो रात को मेरी आँखों में आ जाता है
और सारे मंज़र खा जाता है

सुब्ह को सूरज अपने प्याले से शबनम टपकाता है
और दिन का बच्चा

मेरी रूह के झूले में रख जाता है
मेरे दिल में जंगल है

और उस में फ़ाख़्ता रहती है
जो अपने परों से मेरे लिए

इक परचम बुनती रहती है
और ख़ुशबू से इक नग़्मा लिखती रहती है

फिर थक कर मेरे बालों में सो जाती है
मेरे दिल में जंगल है

और उस में जोगी रहता है
जो मेरे ख़ून से अपनी शराब बनाता है

और अपने सितार में छुपी हुई लड़की को
पास बुलाता है

फिर जंगल बोसा बन जाता है
मेरे दिल में जंगल है

और इस में भूला-भटका ज़ख़्मी शहज़ादा है
जिस का लश्कर

ख़ून की धार पे उस के पीछे आता है
वो अपने वतन के नक़्शे को ज़ख़्मों पे बाँध के

आख़िरी ख़ुत्बा देता है
फिर मर जाता है

मेरे दिल में जंगल है
और उस में गहरी ख़ामोशी है