जिस महल में मैं रहना चाहता हूँ
उस पर पहरे बिठा दिए गए हैं
और उस के अंदर एक शख़्स रहता है
जो ख़ुद को बादशाह कहता है
नज़्म
मैं बड़ी मुश्किल में हूँ
अली ज़हीर लखनवी
नज़्म
अली ज़हीर लखनवी
जिस महल में मैं रहना चाहता हूँ
उस पर पहरे बिठा दिए गए हैं
और उस के अंदर एक शख़्स रहता है
जो ख़ुद को बादशाह कहता है