घुटनों की पीड़ा में जाग के सोने वाली माँ 
इंसुलिन की गोली से ख़ुश होने वाली माँ 
सिलवटी हाथों से कपड़ों को धोने वाली माँ 
पापा की इक डाँट से घुट कर रोने वाली माँ 
बच्चों से छुप छुप कर रोना कैसा होता है 
माँ हो तुम और माँ का होना ऐसा होता है 
पापा की इंटेलीजेंसी तुम पर भारी है 
लेकिन तुम ने प्रेम की गंगा घर में उतारी है 
बाँधना घर को एक धागे में कितना भारी है 
इस में तुम्हारी सर्फ़ तुम्हारी ही होशियारी है 
तुम को है मा'लूम पिरोना कैसा होता है 
माँ हो तुम और माँ का होना ऐसा होता है 
दकियानूसी कह कर बिटिया तुम पर हँसती है 
तुम को नहीं मा'लूम की फबती तुम पर कसती है 
सीधी औरत की भी उपाधि तुम को डसती है 
और तुम्हारी उस घर में ही दुनिया बस्ती है 
छत दीवारें कोना कोना कैसा होता है 
माँ हो तुम और माँ का होना ऐसा होता है 
छोटी सी तनख़्वाह में कैसे करने हैं सब काम 
कभी नहीं मिलता है तुम को मेहनत का इनआ'म 
और नहीं होता है जग में कभी तुम्हारा नाम 
धर्ती-माँ के जैसे तुम भी करती नहीं आराम 
तुम को क्या मा'लूम कि सोना कैसा होता है 
माँ हो तुम और माँ का होना ऐसा होता है
        नज़्म
माँ का होना
ज़िया ज़मीर

