फ़ौज हक़ को कुचल नहीं सकती
फ़ौज चाहे किसी यज़ीद की हो
लाश उठती है फिर अलम बन कर
लाश चाहे किसी शहीद की हो
नज़्म
लश्कर-कुशी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
साहिर लुधियानवी
फ़ौज हक़ को कुचल नहीं सकती
फ़ौज चाहे किसी यज़ीद की हो
लाश उठती है फिर अलम बन कर
लाश चाहे किसी शहीद की हो