वक़तन-फ़वक़तन हमारी तारीफ़ की जाए
हमें शाबाशी दी जाए
क्यूँकि हम ख़ास लोग हैं
हमारा ख़ुदा एक ख़ास दरवाज़े से
हमें अपनी जन्नत में दाख़िले का एज़ाज़ बख़्शेगा
हमारा मुक़ाबला आम आदमियों से न किया जाए
हमें मुतलक़ इज़हार-ए-राय की आज़ादी दी जाए
हमारे तर्ज़-ए-अमल पर कोई क़दग़न न लगाए
तस्लीम किया जाए कि हम
ज़िंदगी को ज़ियादा गहराई से समझने की सलाहियत रखते हैं
हमें आम आदमियों के लिए बनाए जाने वाले मेआरात पर न परखा जाए
हमें हर तरह की तन्क़ीद और एहतिसाब से बाला क़रार दिया जाए
अवाम की ख़िदमत और इस्लाह हमारा मिशन है
अगर इस मिशन को पा-ए-तकमील तक पहुँचाने के दौरान
कोई शख़्स अगर हमारे हाथों
जज़्बाती या जिस्मानी तौर पर हलाक हो जाए
तो हमारी निय्यत पर शुबह न किया जाए
हमें शाबाशी दें, हमारी तारीफ़ की जाए
क्यूँकि हम ख़ास लोग हैं
नज़्म
क्यूँकि हम ख़ास लोग हैं
शौकत आबिदी