EN اردو
क्या होगी पेड़ों की ज़ात | शाही शायरी
kya hogi peDon ki zat

नज़्म

क्या होगी पेड़ों की ज़ात

कमल उपाध्याय

;

क्या होगी पेड़ों की ज़ात
कभी सोचा है आप ने

सवाल अटपटा है
लेकिन क्यूँ नहीं बाँटा

उसे हम ने ज़ात-पात में
चलो एक एक कर के बाँटते हैं पेड़ों को

फल वाले पेड़ और फूल वाले पेड़
बड़ी बड़ी भुजाओं वाले

छोटी छोटी टहनियों वाले पेड़
वो आम का पेड़

जो हवन में जलता हैं
बाभन होगा

क्यूँकि उस के पत्तों की पूजा भी होती हैं
फल भी खुब रसीला मंत्रो की तरह

बबूल का पेड़ छाया नहीं देता
उस के काँटे चुभ जाए तो दर्द होता है

और ख़ून निकलता है
लेकिन बड़ा मज़बूत होता है

बबूल शायद ठाकुर होगा
बनिया तो महुवा होगा

उस के पत्तों से पत्तल बनती हैं
रसीले फल आँटे में

मीज कर गुजिया बनाते हैं
सुखा कर उस के फल दुकान पर बेच देते हैं

तेल भी मिलता है महुए की कोइय्या से
लकड़ी तो उस की बड़े काम आती हैं

कुछ पेड़ है
जो जल्दी जल्दी बढ़ते है

उन की लकड़ी जलावन बनती हैं
अमलतास मेरा हरीजन होगा

बस बढ़ता है और कटता है
उस के कटने पर किसी को दुख नहीं होता

सवाल मेरा पढ़ कर
सोचोगे तुम

पागल हो गया बस्ती
बहकी बहकी सी बातें करता है

तो क्यूँ नहीं सोचते
इंसानो को ज़ात-पात में बाँटने पर

चलो एक एक कर के
बाँटते हैं पेड़ों को