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ख़्वाब की बातें | शाही शायरी
KHwab ki baaten

नज़्म

ख़्वाब की बातें

शाइस्ता हबीब

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जैसे दुख भरे दिन आते हैं हाथों में
ऐसे बे-बस आँसू आते हैं आँखों में ख़्वाब नहीं आते

ख़्वाब की बातें
ख़्वाब की ख़्वाहिश में दुख के दिन को ओढ़ के सो जाएँ

पर आँसू बरस बरस के सोने भी न दें
ग़रीब की कुटिया की तरह जगह जगह से पानी टपके

जल-थल सारे घर में
फिर ख़ुशियों के पत्तों को किन दरख़्तों पे जा कर तलाश करें

अपने मन घंटी बाँध के बैठ रहीं
वो आए तो

सब दीवारें आँखों की घंटी की आवाज़ से जाग उठीं
सब जन्मों की प्यास हरी हो

खोल के खिड़की बाहर बारिश कर दूँ ख़ुशियों की
मिट्टी के घरौंदे जी उठें वो आए तो